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शिव मंदिर सपरून में शिव पुराण कथा आयोजित…

सोलन, 27 जुलाई।

शिव मंदिर सपरून में आयोजित शिव पुराण कथा में अन्तिम दिन की कथा में पंडित ओम प्रकाश गौतम ने भक्तों को कहा कि भक्ति को छुपा कर करो।

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उन्होंने कथा में रुद्र अवतार कि कथा सुनाई। गौतम ने कहा कि भगवत कृपा हम सब पर हुई तभी यह यज्ञ संपन्न हुआ है। बाबा के ग्यारह रूप है। 8 मूर्ती रूप हैं।

इनके साथ मां की बहुत सी शक्तियां है। उन्होंने पतिव्रता नारी अनुसूया और अत्रि मुनि की कथा सुनाई जो काशी में रहते थे। जिस स्थान पर कथा होती है वो स्थान

तीर्थ बन जाता है। भूल कर भी तीर्थो में मन, वचन, कर्म से बुरा कर्म नही करना नहीं तो असंख्य पाप लगता है। अनुसूया मैया ने अपने सतीत्व से गंगा मैया को काशी में आने को मजबूर कर दिया था।

तीनों महाशक्तियां दुखी हो गई की इस धरती पर अनुसूर्या का सतीत्व बहुत बढ़ रहा है । आप तीनों जाओ नग्न अवस्था में हमें भिक्षा दो। मां ने गंगाजल हाथ में लिया और तीनो को बालक बना दिया और अपना दो दूध पिलाकर भिक्षा दी।  

कियंआ ओऊआ तेरे कैलाशो शिवजी कियंआ ओऊणा भजन पर सब झूम उठे। उसके बाद उन्होंने कहा कि जीवन में गुरु धारण करो लेकिन ऐसा गुरु धारण करो जिसकी वाणी,  उनके प्रवचन सुन कर आपका जीवन बदल जाए।

गुरु दत्तात्रेय ने अपने जीवन में 24 गुरू धारण किए। जब उच्च कोटि का संत आपको मिले जो आपको प्रभू से मिला दे तो उसे गुरु बना लो। गुरु बिना कोन दिखावे बाट। 

रात्रि सोने से पहले एंकात में सोचे की आज कितना भगवान का भजन किया, क्या अच्छा, क्या बुरा काम किया। इसके बाद उन्होंने कहा कि हमारा प्रेम कभी स्थाई नहीं रहता। क्योंकि यह अस्थाई प्रेम है यह पल पल बदलता रहता है।

अगर प्रेम करने लायक यहां कोई है तो वह प्रभू है। उस भगवान से सच्चा प्रेम करो। जो यहां भी आपके साथ रहेगा और मरने के बाद भी आपके साथ जाएगा। इसके बाद हनुमान जी के रुद्र अवतार की कथा सुनाई।

जिसमें भगवान नारायण के मोहिनी रूप और भस्मासुर की कथा का वर्णन किया। भस्मासुर को भगवान से वरदान मिला था। भगवान ने अपना मोहिनी रूप भगवान शंकर को दिखाया। भगवान के पुत्र के रूप में माता अंजनी के गर्भ से भगवान हनुमान

का जन्म हुआ। इसके बाद उन्होंने भगवान हनुमान के जीवन के कई प्रसंग सुनाए। उन्होंने दधीचि ऋषि कि कथा सुनाई। दधीचि ऋषि ने इंदर को वज्र बनाने के लिए अपनी हड्डियां का दान किया था। इसके बाद ऋषि पुत्र पिपलाद की कथा सुनाई। शनि की

पीड़ा जिन को ही उनको हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए। उन्होंने मार्कण्डेय ऋषि की कथा भी सुनाई। उनको 12 साल की अल्प आयु थी उनकी जन्मपत्री में मार्केश था। उन्होंने महामृत्युजंय मंत्र का जप किया और भगवान शंकर को प्रसन्न किया।

भगवान ने मार्कण्डय ऋषि को वरदान दिया। कथा व्यास ने कहा कि आप सभी बाबा महादेव भगवान की भक्ति करते रहे। महादेव को जल अर्पण करे उनका प्रतिदिन पूजन करें। 

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आज कथा का विराम किया गया। ओम प्रकाश गौतम ने सभी को अपना आशीर्वाद दिया। मंदिर कमेटी को बहुत धन्यवाद दिया। 

सभी ने महादेव की आरती कर भंडारे का प्रसाद ग्रहण किया। इसके बाद सभी ने अश्रृरुपूर्ण विदाई कथा व्यास और महाशिवपुराण को दी। 

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